पुस्तकालय
आधुनिक शैली का एक पुस्तकालय
पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ विविध प्रकार के ज्ञान, सूचनाओं,
स्रोतों, सेवाओं आदि का संग्रह रहता है। पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के
लाइब्रेरी शब्द का हिंदी रूपांतर है। लाइबेरी शब्द की उत्पत्ति लेतिन शब्द '
लाइवर ' से हुई है, जिसका अर्थ है पुस्तक। पुस्तकालय का इतिहास लेखन
प्रणाली पुस्तकों और दस्तावेज के स्वरूप को संरक्षित रखने की पद्धतियों और
प्रणालियों से जुड़ा है।
पुस्तकालय यह शब्द दो शब्दों से मिल। चीन के राष्ट्रीय पुस्तकालय में
लगभग पाँच करोड़ पुस्तकें हैं और यहाँ के विश्वविद्यालय में भी विशाल
पुस्तकालय हैं। इंपीरियल कैबिनो लाइब्रेरी के राष्ट्रीय पुस्तकालय की
स्थापना 1881 ई. में हुई थी। इसके अतिरिक्त जापान में अनेक विशाल पुस्तकालय
हैं।
1713 ई. में अमरीका के फिलाडेलफिया नगर में सबसे पहले चंदे से चलनेवाले
एक सार्वजनिक पुस्तकालय की स्थापना हुई। लाइब्रेरी ऑव कांग्रेस अमरीका का
सबसे बड़ा पुस्तकालय है। इसकी स्थापना वाशिंगटन में सन् 1800 में हुई थी।
इसमें ग्रंथों की संख्या साढ़े तीन करोड़ है। पुस्तकालय में लगभग 2,400
कर्मचारी काम करते हैं। समय समय पर अनेक पुस्तकों का प्रकाशन भी यह
पुस्तकालय करता है और एक साप्ताहिक पत्र भी यहाँ से निकलता है।
अमरीकन पुस्तकालय संघ की स्थापना 1876 में हुई थी और इसकी स्थापना के
पश्चात् पुस्तकालयों, मुख्यत: सार्वजनिक पुस्तकालयों, का विकास अमरीका में
तीव्र गति से होने लगा। सार्वजनिक पुस्तकालय कानून सन् 1849 में पास हुआ
था और शायद न्यू हैंपशायर अमरीका का पहला राज्य था जिसने इस कानून को सबसे
पहले कार्यान्वित किया। अमरीका के प्रत्येक राज्य में एक राजकीय पुस्तकालय
है।
सन् 1885 में न्यूयार्क नगर में एक बालपुस्तकालय स्थापित हुआ।
धीरे-धीरे प्रत्येक सार्वजनिक पुस्तकालय में बालविभागों का गठन किया गया।
स्कूल पुस्तकालयों का विकास भी अमरीका में 20वीं शताब्दी में ही प्रारंभ
हुआ। पुस्तकों के अतिरिक्त ज्ञानवर्धक फिल्में, ग्रामोफोन रेकार्ड एवं
नवीनतम आधुनिक सामग्री यहाँ विद्यार्थियों के उपयोग के लिए रहती है।
आस्ट्रेलिया के प्रसिद्ध शहर कैनबरा में राष्ट्रसंघ पुस्तकालय की
स्थापना 1927 में हुई। वास्तव में पुस्तकालय आंदोलन की दिशा में यह
क्रांतिकारी अध्याय था। मेलबोर्न में विक्टोरिया पुस्तकालय की स्थापना 1853
में हुई थी। यह आस्ट्रे��कर बना है- पुस्तक + आलय। जिसमें लेखक के भाव
संगृहीत हों, उसे पुस्तक कहा जाता है और आलय स्थान या घर को कहते हैं। इस
प्रकार पुस्तकालय उस स्थान को कहते हैं जहाँ पर अध्ययन सामग्री (पुस्तकें,
फिल्म, पत्रपत्रिकाएँ, मानचित्र, हस्तलिखित ग्रंथ, ग्रामोफोन रेकार्ड एव
अन्य पठनीय सामग्री) संगृहीत रहती है और इस सामग्री की सुरक्षा की जाती है।
पुस्तकों से भरी अलमारी अथवा पुस्तक विक्रेता के पास पुस्तकों का संग्रह
पुस्तकालय नहीं कहलाता क्योंकि वहाँ पर पुस्तकें व्यावसायिक दृष्टि से रखी
जाती हैं।
प्रकार
विभिन्न पुस्तकालयों का अपना क्षेत्र और उद्देश्य अलग अलग होता है और वह
अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए अनुकूल रूप धारण करते हैं। इसी के आधार पर
इसके अनेक भेद हो जाते हैं जैसे- राष्ट्रीय पुस्तकालय, सार्वजनिक
पुस्तकालय, व्यावसायिक पुस्तकालय, सरकारी पुस्तकालय, चिकित्सा पुस्तकालय और
विश्वविद्यालय तथा शिक्षण संस्थाओं के पुस्तकालय आदि।
राष्ट्रीय पुस्तकालय
जिस पुस्तकालय का उद्देश्य संपूर्ण राष्ट्र की सेवा करना होता है उसे
राष्ट्रीय पुस्तकालय कहते हैं। वहाँ पर हर प्रकार के पाठकों के
आवश्यकतानुसार पठनसामग्री का संकलन किया जाता है। अर्नोल्ड इस्डैल के
मतानुसार 'राष्ट्रीय पुस्तकालय का प्रमुख कर्तव्य संपूर्ण राष्ट्र के
प्रगतिशील विद्यार्थियों को इतिहास और साहित्य की सामग्री सुलभ करना,
अध्यापकों, लेखकों एवं शिक्षितों को शिक्षित करना है'। इसके अतिरिक्त
राष्ट्रीय पुस्तकालय के निम्नलिखित कर्तव्य होते हैं:
1- राष्ट्रीय ग्रंथसूची के प्रकाशित कराने का दायित्व।
2- इस पुस्तकालय से संबद्ध पुस्तकालयों की एक संघीय सूची का संपदान करना।
3- पुस्तकालयों में संदर्भ सेवा की पूर्ण व्यवस्था करना और पुस्तकों कें अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान की सुविधा दिलाना।
4- अंतर्राष्ट्रीय ग्रंथसूची के कार्य के साथ समन्वय स्थापित करना और इय संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी रखना।
5- संपूर्ण राष्ट्र में स्थापित महत्वपूर्ण संदर्भकेंद्रों की सूची तैयार करना।
प्रसिद्ध भारतीय विद्वान्
डाक्टर रंगनाथन
के अनुसार देश की सांस्कृतिक अध्ययनसामग्री की सुरक्षा राष्ट्रीय
पुस्तकालय का मुख्य कार्य है। साथ ही देश के प्रत्येक नागरिक को ज्ञानार्जन
की समान सुविधा प्रदान करना और जनता की शिक्षा में सहायता देने के विविध
क्रियाकलापों द्वारा ऐसी भावना भरना कि लोग देश के प्राकृतिक साधनों का
उपयोग कर सकें। यह निश्चय है कि यदि देश के प्रत्येक व्यक्ति का मस्तिष्क
सृजनशील नहीं होगा तो राष्ट्र का सर्वांगीण विकास तीव्र गति से नहीं हो
सकेगा।
कापीराइट
की सुविधा से राष्ट्रीय पुस्तकालयों के विकास में वृद्धि हुई है। वास्तव
में पुस्तकालय आंदोलन के इतिहास में यह क्रांतिकारी कदम है। ब्रिटेन के
राष्ट्रीय पुस्तकालय, ब्रिटिश म्यूजियम को 1709 में यह सुविधा प्रदान की
गई। इसी प्रकार फ्रांस बिब्लियोथेक नैशनल पेरिस को 1556 और बर्लिन
लाइब्रेरी को 1699 ई. में एवं स्विस नैशनल लाइब्रेरी को 1950 ई. में वहाँ
के प्रकाशन नि:शुल्क प्राप्त होने लगे। कापीराइट की यह महत्वपूर्ण सुविधा
भारतीय राष्ट्रीय पुस्तकालय को सन् 1954 ई. में प्रदान की गई। डिलीवरी आंव
बुक्स सन् 1954 के कानून के द्वारा प्रत्येक प्रकाशन की कुछ प्रतियाँ
राष्ट्रीय पुस्तकालय को भेजना प्रकाशकों के लिए कानून द्वारा अनिवार्य कर
दिया गया है।
सार्वजनिक पुस्तकालय
आधुनिक सार्वजनिक पुस्तकालयों का विकास वास्तव में प्रजातंत्र की महान्
देन है। शिक्षा का प्रसारण एवं जनसामान्य को सुशिक्षित करना प्रत्येक
राष्ट्र का कर्तव्य है। जो लोग स्कूलों या कालेजों में नहीं पढ़ते, जो
साधारण पढ़े लिखे हैं, अपना निजी व्यवसाय करते हैं अथवा जिनकी पढ़ने की
अभिलाषा है और पुस्तकें नहीं खरीद सकते तथा अपनी रुचि का साहित्य पढ़ना
चाहते हैं, ऐसे वर्गों की रुचि को ध्यान में रखकर जनसाधारण की पुस्तकों की
माँग सार्वजनिक पुस्तकालय ही पूरी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त प्रदर्शनी,
वादविवाद, शिक्षाप्रद चलचित्र प्रदर्शन, महत्वपूर्ण विषयों पर भाषण आदि का
भी प्रबंध सार्वजनिक पुस्तकालय करते हैं। इस दिशा में यूनैसको जैसे
अंतरराष्ट्रीय संगठन ने बड़ा महत्वपूर्ण योगदान किया है। प्रत्येक
प्रगतिशील देश में जन पुस्तकालय निरंतर प्रगति कर रहे हैं और साक्षरता का
प्रसार कर रहे हैं। वास्तव में लोक पुस्तकालय जनता के विश्वविद्यालय हैं,
जो बिना किसी भेदभाव के प्रत्येक नागरिक के उपयोग के लिए खुले रहते है।
अनुसंधान पुस्तकालय
उस संस्था को कहते हैं जो ऐसे लोगों की सहायता एवं मार्गदर्शन करती है
जो ज्ञान की सीमाओं को विकसित करने में कार्यरत हैं। ज्ञान की विभिन्न
शाखाएँ हैं और उनकी पूर्ति विभिन्न प्रकार के संग्रहों से ही संभव हो सकती
है, जैसे कृषि से संबंधित किसी विषय पर अनुसंधानात्मक लेख लिखने के लिए
कृषि विश्वविद्यालय या कृषिकार्यों से संबंधित किसी संस्था का ही पुस्तकालय
अधिक उपयोगी सिद्ध होगा। ऐसे पुस्तकालयों की कार्यपद्धति अन्य पुस्तकालयों
से भिन्न होती है। यहाँ कार्य करनेवाले कार्मिकों का अत्यंत दक्ष एवं अपने
विषय का पंडित होना अनिवार्य है, नहीं तो अनुसंधानकर्ताओं को ठीक
मार्गदर्शन उपलब्ध न हो सकेगा। संग्रह की दृष्टि से भी यहाँ पर बहुत
सतर्कतापूर्वक सामग्री क चुनाव करना चाहिए। संदर्भ संबंधी प्रश्नों का
तत्काल उत्तर देने के लिए पुस्तकालय में विशेष उपादानों का होना और उनका
रखरखाव भी ऐसा चाहिए कि अल्प समय में ही आवश्यक जानकारी सुलभ हो से।
विभिन्न प्रकार की रिपोर्टे और विषय से संबंधि मुख्य-मुख्य पत्रिकाएँ,
ग्रंथसूचियाँ, विश्वकोश, कोश और पत्रिकाओं की फाइलें संगृहीत की जानी
चाहिए।
व्यावसायिक पुस्तकालय
इन पुस्तकालयों का उद्देश्य किसी विशेष व्यावसायिक संस्था अथवा वहाँ के
कर्मचारियों की सेवा करना होता है। इनके आवश्यकतानुसार विशेष पठनसामग्री का
इन पुस्तकालयों में संग्रह किया जाता है, जैसे व्यवसाय से संबंधित
डायरेक्टरोज, व्यावसायिक पत्रिकाएँ, समयसारणियाँ, महत्वपूर्ण सरकारी
प्रकाशन, मानचित्र, व्यवसाय से संबंधित पाठ्य एवं संदर्भग्रंथ, विधि
साहित्य इत्यादि।
सरकारी पुस्तकालय
वैसे तो सरकार अनेक पुस्तकालयों को वित्तीय सहायता देती है, परंतु जिन
पुस्तकालयों का संपूर्ण व्यय सरकार वहन करती है उन्हें सरकारी पुस्तकालय
कहते हैं, जैसे राष्ट्रीय पुस्तकालय, विभागतीय पुस्तकालय, विभिन्न
मंत्रालयों के पुस्तकालय, प्रांतीय पुस्तकालय। संसद और विधानभवनों के
पुस्तकालय भी सरकारी पुस्तकालय की श्रेणी में आते हैं।
चिकित्सा पुस्तकालय
यह पुस्तकालय किसी चिकित्सा संबंधी संस्था, विद्यालय, अनुसंधान केंद्र
अथवा चिकित्सालय से संबद्ध होते हैं। चिकित्सा संबंधी पुस्तकों का संग्रह
इनमें रहता है और इनका रूप सार्वजनिक न होकर विशेष वर्ग की सेवा मात्र तक
ही सीमित होता है।
शिक्षण संस्थाओं के पुस्तकालय
शिक्षण संस्थाओं के पुस्तकालयों को इस प्रकार विभाजित किया जा सकता है,
जैसे विश्वविद्यालय पुस्तकालय, विद्यालय पुस्तकालय, माध्यमिक शाला
पुस्तकालय, बेसिक शाला पुस्तकालय एवं प्रयोगशालाओं, अनुसंधान संस्थाओं और
खोज संस्थाओं के निजी पुस्तकालय आदि। हर विश्वविद्यालय के साथ एक विशाल
पुस्तकालय का होना प्राय: अनिवार्य ही है। बेसिक शालाओं एवं जूनियर हाई
स्कूलों में तो अभी पुस्तकालयों का विकास नहीं हुआ है, परंतु माध्यमिक
शालाओं एवं विद्यालयों के पुस्तकालयों का सर्वांगीण विकास हो रहा है।
इसके अतिरिक्त पुस्तकालयों के और भी अनेक भेद हैं जैसे ध्वनि पुस्तकालय,
जिसमें ग्रामोफोन रेकार्डों और फिल्मों आदि का संग्रह रहता है, कानून
पुस्तकालय, समाचारपत्र पुस्तकालय, जेल पुस्तकालय, अन्धों का पुस्तकालय,
संगीत पुस्तकालय, बाल पुस्तकालय एवं सचल पुस्तकालय आदि।
सेना पुस्तकालय
ये पुस्तकालय विशिष्ट प्रकार के होते हैं और संग्रह की दृष्टि से तो
इनका रूप प्राय: अन्य पुस्तकालयों से भिन्न होता है। प्रथम विश्वयुद्ध के
समय ऐसे पुस्तकालयों की आवश्यकता की ओर ध्यान दिया गया था और द्वितीय
विश्वयुद्ध के समय तो सेना के अधिकारियों को पठन-पाठन की सुविधा देने हेतु
मित्र-राष्ट्रों ने अनेकानेक पुस्तकालय स्थापित किए। अकेले अमरीका में नभ
सेना के लिए 1600 पुस्तकालय हैं जिनमें नभ सेना के उपयोग के लिए नई से नई
सामग्री का संग्रह किया जाता है। ये पुस्तकालय बहुत से जलपोतों और सैनिक
छावनियों के साथ स्थापित किए गए है। इसी प्रकार वायुसेना और स्थल सेना के
भी अनेक पुस्तकालय विश्व के अनेक देशों में हैं। अमेरिकन पेंटागेन में सेना
का एक विशाल पुस्तकालय है। भारत में रक्षा मंत्रालय, सेना प्रधान कार्यालय
एवं डिफेंस साइंस ऑर्गनाइज़ेंशन के विशाल पुस्तकालय हैं।