अंतरजाल
अंतरजाल (इंटरनेट), एक दूसरे से जुड़े संगणकों का एक विशाल विश्व-व्यापी नेटवर्क या जाल है। इसमे कई संगठनो, विश्वविद्यालयो, आदि के सरकारी और निजी संगणक जुडे हुए है। अंतरजाल से जुडे हुए संगणक आपस मे अंतरजाल नियमावली (Internet Protocol) के जरिए सूचना का आदान-प्रदान करते है। अंतरजाल के जरिए मिलने वाली सूचना और सेवाओ मे अंतरजाल पृष्ठ, ईमेल और बातचीत सेवा प्रमुख है। इनके साथ-साथ चलचित्र, संगीत, विडियो के इलेक्ट्रनिक स्वरुप का आदान-प्रदान भी अंतरजाल के जरिए होता है।
संक्षिप्त इतिहास[संपादित करें]
मुख्य लेख : अन्तरजाल का इतिहास
- 1969 इंटरनेट अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा UCLA के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स का नेटवर्किंग करके इंटरनेट की संरचना की गई।
- 1979' ब्रिटिश डाकघर पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर नये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आरम्भ किया।
- 1980 बिल गेट्स का आईबीएम के कंप्यूटर्स पर एक माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम लगाने के लिए सौदा हुआ।
- 1984 एप्पल ने पहली बार फ़ाइलों और फ़ोल्डरों, ड्रॉप डाउन मेनू, माउस, ग्राफिक्स का प्रयोग आदि से युक्त "आधुनिक सफल कम्प्यूटर" लांच किया।
- 1989 टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउज़रों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर के वर्ल्ड वाइड वेब बनाया।
- 1996 गूगल ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक अनुसंधान परियोजना शुरू किया जो कि दो साल बाद औपचारिक रूप से काम करने लगा।
- 2009 डॉ स्टीफन वोल्फरैम ने "वोल्फरैम अल्फा" लांच किया।
भारत में इंटरनेट[संपादित करें]
भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया, जब एर्नेट (Educational
& Research Network) को सरकार, इलेक्ट्रानिक्स विभाग और संयुक्त
राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम (UNDP) की ओर से प्रोत्साहन मिला। सामान्य उपयोग
के लिये जाल 15 अगस्त 1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम लिमिटेड (VSNL)
ने गेटवे सर्विस शुरू की। भारत मे इंटरनेट यूजर्स की संख्या में तेजी से
इजाफा हुआ है। यहां 1.32 बिलियन लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो चुकी है, जो
कि कुल जनसंख्य का करीब 34.8 %[1] फीसदी है। दुनिया के सभी इंटरनेट यूजर्स देश में भारत कर हिस्सा 13.5 % फीसदी
है। साथ ही इंटरनेट का यूज व्यक्तिगत जरूरतों जैसे बैंकिंग, ट्रेन
इंफॉर्मेशन-रिजर्वेशन और अन्य सेवाओं के लिए भी होता है। आज इन्टरनेट की
पहुँच लगभग सभी गाँव एवम कस्बो और दूज दराज के इलाको तक फ़ैल चुकी है l आज
लगभग सभी जगहों पर इसका उपयोग हो रहा है l और वो दिन दूर नहीं जब भारत
दुनिया में इन्टरनेट के उपयोग के मामले में सबसे आगे हो l और 2015 से सरकार
भी पूरी तरह से ऑनलाइन होने के तयारी में लग गई है l
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